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विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 28)




"अब तक संसार ने कुछ मामूली यातनाएं सही होंगी परन्तु अब सम्पूर्ण संसार को ऐसी यातना मिलेगी जिसकी वह परिकल्पना तक भी नही कर सकता।" हाथ में छोटे से बॉक्स को लिए डार्क लीडर मन ही मन मुस्कुरा रहा था। उसके सिर की लपटें और ऊंची उठने लगी।

यह शायद वही बॉक्स था जो कुछ समय पहले तक धवल के हाथों में था। इसकी सहायता से डार्क लीडर क्या करना चाहता था यह समझ पाना ज्यादा मुश्किल नही था पर उसकी ऊंची होती लपटों को देखकर समझ आ रहा था कि उस बेरहम जलती खोपड़ी के खोपड़ी में कुछ बहुत भयानक चल रहा था, सबकी सोच से बहुत भयानक!


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रात के 2 बजने को थे, कमरे से कीबोर्ड के बटंस के तेजी से खटखटाने के स्वर आ रहे थे। यह कोई उन्नीस बीस साल का लड़का था जो गेम में व्यस्त था। अपने कम्प्यूटर के चेयर पर बैठे हुए वह गेम में इतना था कि उसे अपने आसपास का तनिक होश न रहा। उसने अपने कानों पे हेडफोन लगा रखा था शायद ये गेम्स के बोर्ड से ज्यादा कीबोर्ड पीआर खेलना प्रेफर करता था इसीलिए उसकी उंगलियां कीबोर्ड पर नाच रही थी। आंखें अपलक कंप्यूटर स्क्रीन को ऐसे देखे जा रही थी जैसे क्या ही हो रहा है।

आजकल की पीढ़ी ऐसी ही है, गेम्स की दुनिया में इतना इंवॉल्व हो चुकी है कि कन्फ्यूज्ड हो जाती है और उनका दिमाग गेम की उस दुनिया में जीने की तीव्र इच्छा रखने लगता है। कमरे में हल्की नीली लाइट जल रही थी जिससे हल्का प्रकाश आ रहा था, लड़के की आंखों से नींद कोसों दूर थी वा अपने गेमिंग कैरेक्टर को बहुत एंजॉय करते हुए जीत रहा था। यह कोई खतरनाक गेम था जहां कैरेक्टर्स गन्स से लदे हुए थे और दिए गए मिशन को पूरा कर रहे थे। लड़के के एक्सप्रेशन से लग रहा था कि वो जीत रहा है।

"ओ कम ऑन!" लड़का अपने हेडफोन को निकालकर उछलता हुआ खुशी से भरे एक्सप्रेशन को बिखेरता हुआ बोला। शायद वह जीत चुका था परंतु अब उसके मन में एक गेम और खेलने की तीव्र इच्छा होने लगी।

वह कुछ क्षण बाद पुन: उसी गेम में मग्न हो गया, हेडफोन में गोलियों के चलने की आवाजे आने लगीं। अब उसे थोड़ी उबासी आने लगी थी वह अपनी पलकों को खोले रखना चाहता था परंतु अब वे बहुत भारी हो चुकी थी।

लड़के की आंखे एक क्षण को बंद हुईं और फिर वह अपनी आंखें मलते हुए खोलने की कोशिश करने लगा। अचानक उसे लगा कि जैसे वह अलग दुनिया में आ गया या फिर गेम के सारे कैरेक्टर्स उसकी दुनिया में आ गए। गेम के सभी कैरेक्टर उसकी ओर उसे मारने के लिए दौड़ने लगे, इस एहसास ने उसके मन में डर का बीज रोपित कर दिया। वास्तव में सभी गेमिंग कैरेक्टर उसकी ओर बढ़ रहे थे वह तो जैसे कुर्सी से ही चिपक गया था। बड़ी मुश्किल से कुर्सी से छूटकर स्वयं को जोर से थप्पड़ मारा कि कहीं यह कोई सपना तो नहीं! परंतु ख कोई स्वप्न नही हकीकत था। वह जल्दी से भागते हुए सीढ़ियों से नीचे उतरने लगा, ताकि नीचे के कमरों में सो रहे मम्मी पापा को इस बारे में बता सके। अचानक उसकी सीढ़िया गायब हो गई और फिर तुरंत बन गई, उस लड़के का ध्यान इस ओर नही गया वह तेजी से नीचे उतरता गया।

सीढ़िया अब तक समाप्त नही हो रही थी यह जानकर उसे आश्चर्य हुआ, मन में डर के साथ सवालों का भंवर भी उठने लगा। परंतु यह उसे लगा कि था उसका भ्रम होगा, वह शायद अधिक सीढियां न उतरा हो बस डर के कारण उसे ऐसा लग रहा है।

लेकिन यह सच में हो रहा था। गेम के सारे कैरेक्टर उस लड़के की दिशा में बंदूक ताने बढ़ रहे थे। उनमें से कई न जाने कैसे हवा में भी चल रहे थे, सभी का निशाना एकमात्र वही लड़का था।

अचानक वाह सीढ़ी सिमटती गई, वह लड़का औंधे मुंह धप्प से नीचे गिरा और उसे एहसास हुआ कि इस समय वह दलदली भूमि के ऊपर है। इस बात ने उसे और बुरी तरह झिकझोर दिया क्योंकि उसके घर के आस पास कोई दलदली क्षेत्र नही है।

वह तेजी से एक ओर भागने लगा, गेम के कैरेक्टर अब भी उसके पीछे लगे हुए थे और अंधाधुंध फायरिंग किए जा रहे थे, वह किसी तरह खुद को बचा पाने में सफल हो रहा था तभी एक गोली उसक कान को छू कर गई। रात में चांद की हल्की रोशनी में यह स्थान दिखाई दे रहा था, चारों तरफ विचित्र धुआं फैला हुआ था, आसपास उगे हुए पेड़ भयानक रूप धारण किए हुए प्रतीत हो रहे थे। देखकर ऐसा प्रतीत होता था मानो कोई भयानक राक्षस पेड़ो की भेष में छिपा हुआ हो। लड़के का डर बढ़ने लगा, उसे था यकीन हो चुका था कि वह जिस दुनिया में रहता था, ये दुनिया उससे बिल्कुल अलग थी। लड़का और तेजी से भागने लगा, अपनी पूरी जान लगाकर। फिर भी उसे महसूस हो रहा था जैसे वह तनिक ही दूर आया हो..!

पीछे से कई लोग फायरिंग करते हुए इधर ही आ रहे थे, लड़के को लगने लगा कि शायद वह गेम की दुनिया में आ चुका है और वही उन सबका निशाना है। गाढ़े धुएं की ओट में लड़ने ने एक बार फिर अपने कदमों की चाल बढ़ा दी। साथ ही उसके हृदय एवम सांसों की गति भी बढ़ने लगी थी, मन में अजीब से बेचैनी घर करती जा रही थी।

"यह मैं किस दुनिया में आ गया?" अपने पीछे पड़े लोगो में से एक को देखकर वह और घबराते हुए चीखा। हत्यारे उसके पीछे पड़े हुए थे, जिन्हे वह अब तक गेमिंग कैरेक्टर समझ रहा था, वे बहुत ही ज्यादा वीभत्स नजर आ रहे थे, पूरा शरीर कटा - फटा पड़ा था, अंतड़िया शरीर से बाहर लटक रही थी। हाथ में बड़ी बंदूक जैसा कोई हथियार था जिससे हड्डियों की गोलियां फायर हो रही थी, अगले ही पल पुनः उस जीव की दैहिक संरचना बदलने लगी अब उसके शरीर से अंतड़ियों के स्थान पर मांस के लोथड़े और फौव्वारा मारता हुआ खून बाहर निकल रहा था। अगले ही क्षण उसकी संरचना फिर से बदलने लगी, था देखते ही उस लड़के की हालत खराब हो गई, उसने महसूस किया कि हालत पतली होने के साथ पैंट गीली भी हो चुकी है।

भागते-भागते उसे  सामने की ओर गहरी खाई दिखी, देखने से खाई बहुत ही गहरी लग रही थी क्योंकि उसके अंदर अंधकार का बसेरा बना नजर आ रहा था। परंतु अब उसके सामने कोई और रास्ता न था। उसके आगे खाई और पीछे मौत पड़ी हुई थी, यहां रुकने का सीधा अर्थ उसकी मौत था और यदि वह खाई में छलांग लगा देता है तो शायद बचने की कोई उम्मीद शेष हो।

लड़के ने बिना कुछ सोचे खाई में छलांग लगा दी, उसके गिरने के साथ वह स्थान उसकी करुणा भरी मार्मिक चीखों से दहल गया। उसके पैरों में मोच आ गई थी और कई जगह से हाथ-पैर और जिस्म के कई अंग चोटिल हो चुके थे, वह किसी तरह संभलता हुआ फिर बेतहाशा दौड़ने लगा, उसके जिस्म से लहू रिसकर धरती को लाल कर रहा था। वह भागता जा रहा था परंतु उन जीवों ने अब भी उसका पीछा नही छोड़ा था, उसने जैसे ही उन जीवों को देखा उसकी धड़कने और बढ़ गई। वह जोर जोर से हांफ रहा था, सांसे धौकनी के समान चलने लगी थीं। उसे न जाने क्यों जोर-जोर से लगने लगा कि अब उसका अन्त निश्चित है। अचानक उसका पैर सरका और वा पुनः एक खाई में गिरने लगा, इस एक पल में उसकी सारी जिंदगी के मंजर उसके आंखों के सामने घूमने लगे।

"मैं सुमित हूं, एक सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग स्टूडेंट अपने मां पापा का लाडला और ब्रुटल गेम्स का दीवाना। ऐसे गेम्स जिसमें निर्ममता हो, बेरहमी हो मुझे बहुत पसंद है। परंतु सच तो ये है कि मैं खून से बहुत ज्यादा डरता हूं, किसी का खून बहने देख लूं तो डर के मारे हालत खराब हो जाती है। पहली बार मेरे पापा ने ही इस डर को दूर करने के लिए ऐसे गेम्स लाकर दिए और अब ये मेरा पैशन बन चुका है। सच कहूं तो गेम में इतना डूब जाता हूं किउस लॉक  इससे बाहर की जिंदगी भूल ही जाता हूं। मुझे हर एक क्षण याद आ रहा है, मेरी लाइफ का हर एक कीमती पल, जिसे मैंने न जाने क्यों तवज्जो नहीं दी और आज…." सुमित के मन में गेम से घृणा सी उत्पन्न होने लगी। उसे यह पता भी नही था कि था सही है या नही।

अब तक वह जमीन को छूने ही वाला था, उसके प्राण हलक में अटके हुए थे। वह अपने इष्ट का ध्यान करने की कोशिश करता रहा परंतु डर के कारण वह कुछ भी करने में सफल नही हो पा रहा था। गोलियों के चलने की आवाजे अब भी आ रही थी, जो ज्यादा दूर से चलाई हुई प्रतीत नही होती थी, इसका तात्पर्य यह था कि वे सभी विचित्र जीव यहां से ज्यादा दूर नहीं थे।

सुमित के गिरने के साथ छलाक का स्वर उभरा और वह पूरी तरह किसी द्रव से नहा गया। यह द्रव थोड़ा लिसलिसा और गाढ़ा था। द्रव में गिरने के कारण उसे ज्यादा चोट नही लगी थी परंतु ध्यान से देखने पर उसकी हालत और खराब होने लगी। यह पूरी  रक्त से भरा कुण्ड था, सुमित का जन्मजात डर अब भी नही गया था, खून देखते ही उसे चक्कर आने लगे वह वहां से भागने की कोशिश करने लगा परंतु उसके हाथ पाव डर के मारे फूल कर भारी हो चुके थे। उसके शरीर ने उसका साथ देना छोड़ दिया था, उसकी आंखें अब तक अपलक उन अंधाधुंध गोली चलाने वालें जीवों को अपनी तरफ बढ़ते देखते हुए अपने मृत्यु की प्रतिक्षा करने लगी।

उन जीवों के थोड़ा और करीब आ जाने पर सुमित ने जो देखा उसकी दशा और बिगड़ने लगी। सबसे आगे उसके पापा चले आ रहे थे, उनकी आंखे बाहर को लटकी हुई थी, छाती पर से ऊपरी त्वचा गायब थी, पेट से अंतड़ियां बाहर झूल रही थी, चेहरे पर क्रूर भयावह मुस्कान और हाथों में एक विचित्र सी बंदूक थी जिससे वह लगातार गोलियां दागते जा रहे थे। उसके पीछे उसकी मां और साथ में उसके खास दोस्त इसी अवस्था में थे, उन सभी के चेहरे पर शैतानी मुस्कान थिरक रही थी, उसकी मां के होंठ कटकर लटके हुए थे और पेट को बीच से मोटे धागों से सिया गया था। यह देखने के बाद सुमित को कुछ भी समझ नही आ रहा था, वह वही बैठकर जोर - जोर से रोने लगा, उसके आंसू उस कुण्ड के रक्त में गिरकर घुलने - मिलने लगा।

उन सभी ने अब भी गोलियां चलाना जारी रखा, सुमित के बदन में अनगिनत गोलियां धंस गई और अगले ही पल उसके प्राण पखेरू उड़ गए।

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सुबह जब सुमित नही उठा तो उसके पापा रूम में जाकर उसे जगाने की कोशिश करने लगे, कई बार जोर जोर से चिल्लाने पर भी नही जागा तो उन्होंने दरवाजे को तोड़कर अंदर जाने का फैसला लिया।

दरवाजा तोड़ते ही उन्हे सुमित अपने रिवाल्विंग चेयर पर मृत अवस्था में मिला। उसके मुंह से झाग निकल रहा था और शरीर पर जख्मों के कोई निशान न थे, पैंट बुरी तरह से भीगी हुई थी और नीचे फर्श भी भीगा हुआ था। उसकी सांसे नही चल रही थी, दिल ने धड़कना छोड़ दिया था। शायद उसे कोई बहुत बड़ा दिल का दौरा आया हुआ था।

उसके पिता इस सोच में पड़ गए की ये कैसे हुआ! वह जोर जोर से चिल्लाकर उसे जगाने की कोशिश करने लगे, कंप्यूटर पर अब भी वही गेम ऑन था। उसे जगाने की कोशिश में वे बेसुध होकर गिर पड़े। थोड़ी देर बाद जब उसके पिता को होश आया तो वे फिर से बेतहाशा रोने लगे, अचानक उनकी नजर दरवाजे पर गई वह अब भी अंदर से बंद ही था। परंतु उन्होंने कुछ देर पहले ही तो इस दरवाजे को तोड़ा था, उनके अंदर विचारों का धाराप्रवाह बढ़ने लगा, मस्तिष्क में ज्वार - भाटा सी लहरे उफान मारने लगीं। कुछ समय तक कुछ भी समझ न आया और धीरे धीरे आंखों के नीचे गहरी काली रेखाएं खींचने लगीं। चेहरा भय से सूखने लगा था।

"इसका मतलब मैं भी मर चुका हूं!" कांपते हुए होंठो से चंद लफ्ज़ निकले। धीरे - धीरे उसके पिता का वह साया भी धूमिल होकर मिटने लगा। नीचे कमरे में उसके माता - पिता अपने बेड से नही उठे थे। वे अब कभी न जागने वाली नींद में सो चुके थे।

आज ये सारा शहर सोया हुआ ही रह गया था, आसमान में पंछी भी नजर नही आ रहे थे। सुबह होते ही गलियों में भटकने वाले आवारा कुत्ते दिखाई नही दे रहे थे, मवेशीखानों पर पलने वाले मवेशियों के रंभाने के स्वर नही आ रहे थे। न मंदिर से शंखनाद और घंटियों की आवाज आ रही थी न ही मस्जिद से सुबह के अजान का, यह शहर बिल्कुल सुनसान हो चुका था।

"अगर इस यंत्र की रेंज और अधिक होती तो और मजा आ जाता।" हाथ में एक विचित्र बॉक्स लिए डार्क लीडर अपने होठों पर क्रूर मुस्कान सजाए एक चट्टान पर बैठा हुआ था। उसके चेहरे पर विजयी लपटें विराजमान थीं। "अब इस संसार को अपनी वास्तविकता ज्ञात होगी और क्रूरता की परिभाषाएं बदल जाएंगी हहाहा....." वह जोर जोर से अट्ठाहास कर रहा था।

क्रमश:.....

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3 Comments

Kaushalya Rani

25-Nov-2021 10:19 PM

Very nice

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Farhat

25-Nov-2021 06:36 PM

Good

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